मैं किसी को शिष्य नहीं बना सकता हूं, क्योंकि मैं कोई गुरु नहीं हूं...
ना मैं गुरु हूँ ना मैं बाबा ना स्वामी मैं आप जैसा हूँ एक सामान्य इंसान ,आपका मित्र कहलो या दोस्त या मैत्रय ...................
लेकिन अगर कोई व्यक्ति स्वयं जैसे होने की कोशिश की यात्रा पर निकले तो मेरी शुभकामनाएं उसे देने में मुझे कोई हर्ज नहीं है। जो संन्यासी चाहते हैं कि मैं परमात्मा के मार्ग पर उनकी यात्रा का गवाह बन जाऊं, विटनेस बन जाऊं तो उनका गवाह बनने में मुझे कोई एतराज नहीं है, लेकिन मैं गुरु किसी का भी नहीं हूं। मेरा कोई शिष्य नहीं है, मैं सिर्फ गवाह हूं। लेकिन अगर कोई मेरा शिष्य बनने आए तो मुझे भारी एतराज है।
मैं किसी को शिष्य नहीं बना सकता हूं। क्योंकि मैं कोई गुरु नहीं हूं। अगर कोई मेरे पीछे चलने आए तो मैं उसे इनकार करूंगा, लेकिन कोई अगर अपनी यात्रा पर जाता हो और मुझसे शुभकामनाएं लेने आए तो शुभकामनाएं देने की भी कंजूसी करूं, ऐसा सम्भव नहीं है। फिर भी.. यह आपको दिखाई पड़ गया है—मैं गैरिक वस्त्र नहीं पहनता हूं मैंने कोई गले में माला नहीं डाली हुई है।